देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं, दिल में मेरे सुलगते तूफ़ा किसके हैं, नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से हो कर फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं.
मोहब्बत किससे ओर कब हो जायें अन्दाजा नही, ये वो घ है जिसका दरवाजा नही होता.
एक पहचान हज़ारो दोस्त बना देती हैं, एक मुस्कान हज़ारो गम भुला देती हैं, ज़िंदगी के सफ़र मे संभाल कर चलना, एक ग़लती हज़ारो सपने जला कर राख देती है.
जब तक हम ये जान पाते हैं कि ज़िन्दगी क्या है, तब तक ये आधी ख़तम हो चुकी होती है.
क्या अजीब सी ज़िद है हम दोनो की, तेरी मुझसे जुदा होनेकी, और मेरी तेरे पीछे तबाह होने की.