अहल-ए-हवस तो ख़ैर हवस में हुए ज़लील वो भी हुए ख़राब, मोहब्बत जिन्हों ने की.
अब तो मिल जाओ हमें तुम कि तुम्हारी ख़ातिर इतनी दूर आ गए दुनिया से किनारा करते.
एक धागे के प्रेम में जैसे मोमबत्ती कतरा-कतरा जलती है, बस ऐसा ही प्यार वो पगला मुझसे करता है.
इन आँखों को जब तेरा दीदार हो जाता है दिन कोई भी हो लेकिन त्यौहार हो जाता है.
कितना प्यार है इस दिल में तेरे लिए, अगर बयां कर दिया तो तू नहीं ये दुनिया मेरी दिवानी हो जायेगी.